Valentine Special: अमृता और इमरोज की बेपनाह मोहब्बत, जो पूरी दुनिया के लिए है मिसाल
अमृता की मौत के बाद भी उनके लिए जीते रहे इमरोज...
डिजिटल डेस्क। साल का सबसे प्यारा महीना फरवरी… क्योंकि इसे प्रेम का महीना कहा जाता है। इस महीने की 14 तारीख को हर साल वैलेंटाइन डे मनाया जाता है। इस दिन प्यार को सेलिब्रेट किया जाता है। इसी प्यार को सेलिब्रेट करने के लिए हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी लवस्टोरी के बारे में… जिसे पढ़कर हर कोई प्यार के रंग में डूब जाता है। हम बात कर रहे हैं अपने समय की महान कवयित्री अमृता प्रीतम और उनके चित्रकार प्रेमी इमरोज की। दोनों की प्रेमकहानी दुनिया की सबसे खूबसूरत प्रेम कहानियों में से एक है। आखिर क्यों इनकी कहानी… दुनिया की खूबसूरत कहानीयों में से एक है। आइए जानते हैं।
ऐसे हुई थी अमृता और इमरोज की मुलाकात
अमृता एक बार एक चित्रकार सेठ से अपनी किताब ‘आख़िरी ख़त’ का कवर डिज़ाइन करने का अनुरोध किया था। उन्होंने ही अमृता को इमरोज़ से मिलवाया। दरअसल, उस ज़माने में इमरोज उर्दू पत्रिका शमा में काम किया करते थे। इमरोज़ ने चित्रकार सेठ के कहने पर अमृता के किताब का डिज़ाइन तैयार किया, जो अमृता को बहुत पसंद आया और कवर डिजाइन करने वाला भी। उसके बाद मिलने-जुलने का सिलसिला शुरू हो गया। दोनों पास ही रहते थे। इमरोज साउथ पटेल नगर में और अमृता वेस्ट पटेल नगर में।
अमृता को इमरोज में दिखा अपना ‘राजन’
बता दें कि इमरोज और अमृता इतनी भी हसीन नहीं थी। जब वो इमरोज से मिली, उस वक्त वो एक तलाकशुदा महिला थीं। जी हां, अमृता की साल 16 की उम्र में 1935 में लाहौर के कारोबारी प्रीतम सिंह से शादी हुई। जिसे अमृता ने कभी स्वीकार नहीं किया। दोनों के 2 बच्चे भी हुए लेकिन 1980 में आखिकार उन्होंने प्रीतम को छोड़ दिया। उन्हें प्रीतम में वो नहीं मिला तो प्यार के बारे में अपनी कविताओं में लिखती थी। अमृता के ज़हन में एक काल्पनिक प्रेमी मौजूद था और उसे उन्होंने ‘राजन’ नाम भी दिया था। हालांकि जब वो इमरोज से मिली तो उनको लगा जैसे की कविताओं वाला राजन जैसी असल जिंदगी में मिल गया हो।
लंबे समय तक रहे साथ
आज के समय में जो ‘लिव इन’ भारतीय युवाओं के लिए फैशन बन गया है। वह अमृता के लिए जीने का अंदाज था। उनके लिए वह आजादी का एक अंदरूनी अहसास था, जिसे उन्होंने दिल खोल और बेपरवाह हो कर जिया। अमृता तकरीबन 4 दशक तक इमरोज के साथ बिना शादी के रहीं। यह भी जान लें कि अमृता और इमरोज के बीच उम्र में सात साल का फासला था।
कोई नहीं कर सकता इमरोज जैसा प्यार
इमरोज़ जैसा प्रेम वाकई विरले ही कर पाते हैं, ख़ुद को खोकर किसी के जीवन की चमक बनना आसान कहां है। इमरोज़ से एक दफ़ा अमृता ने कहा था कि वो पूरी धरती का चक्कर लगा ले और लगे कि अब भी अमृता के साथ ही रहना है तो वह इंतज़ार करती मिलेंगी। इमरोज़ ने अमृता का चक्कर लगाकर कहा कि हो गया पूरी धरती की चक्कर और वह उनके साथ ही रहेंगे।
अमृता ने इमरोज के लिए लिखी थी आखिरी कविता
दुनिया को विदा कहने से पहले यानी 31 अक्टूबर, 2005 से कुछ समय पहले अमृता ने अंतिम नज्म लिखी ‘मैं तुम्हें फिर मिलूंगी’, जो सिर्फ इमरोज के लिए थी। कहा जाता है कि शायद साहिर से अलगाव के बाद अमृता ने इमराेज के साथ 40 साल बिना शादी किए साथ बिताए। अपनी आत्मकथा ‘रसीदी टिकट’ की भूमिका में अमृता लिखती हैं-‘मेरी सारी रचनाएं, क्या कविता, क्या कहानी, क्या उपन्यास, सब एक नाजायज बच्चे की तरह हैं। मेरी दुनिया की हकीकत ने मेरे मन के सपने से इश्क किया और उसके वर्जित मेल से ये रचनाएं पैदा हुईं।’
अमृता की मौत के बाद भी अपने प्यार के लिए जीते रहे इमरोज
अमृता के जाने के लगभग 18 साल बाद इमरोज ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके क़रीबी बताते हैं कि वे अक्सर ही अमृता को याद करते रहते और कहते कि वो यहीं-कहीं मौजूद है। इमरोज अमृता के जाने के बाद भी उनके लिए जीते रहे। बेशक वे जिस्मानी तौर पर 18 साल साथ नहीं रहे। पर वे हमेशा एक दूसरे के होकर रहे।