‘राम’ महज नाम नहीं… पूरा महामंत्र है, जानिए इस अक्षर की महिमा
राम का अर्थ पूरे ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व अर्थात स्वयं ब्रह्म
डिजिटल डेस्क। हमारे भाग खुलने में अब कुछ ही वक्त बचा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों से चल रही हैं और 22 जनवरी का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। पूरा देश राम नाम के नारे से गूंज रहा है। चारों तरह दीवाली जैसा माहौल है। आखिर हो भी क्यों न! राम नाम की महिमा ही ऐसी है। यह महज दो अक्षर का नाम नहीं… बल्कि पूरा एक महामंत्र है, जिसका जाप करने से व्यक्ति को समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है। तो चलिए इस मौके पर जानते हैं राम नाम के विशेष अर्थ के बारे में।
तैत्तरीय आरण्यक नामक ग्रंथ में दिए गए एक श्लोक के अनुसार, राम शब्द का अर्थ होता है पुत्र राम। वहीं, ब्रह्मण संहिता में कहा गया है कि राम नाम का अर्थ है- जो सभी जगह राम हुआ है। आप इस बात का वर्णन इस श्लोक में देख सकते हैं – ‘रमन्ते सर्वत्र इति रामः।’
ये है राम नाम की महिमा
शास्त्रों में ऐसे कई श्लोक मिलते हैं, जिसमें राम नाम के अर्थ और महिमा का वर्णन किया गया है। शास्त्रों में निहित एक श्लोक के अनुसार, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते”। जिसका अर्थ है कि योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं।
ये भी है एक अर्थ
कई विद्वानों ने राम नाम का अर्थ मनोज्ञ भी माना है। यहां मनोज्ञ का अर्थ है – जो मन को जानने वाला हो। वहीं, कई व्याख्याकारों ने राम नाम का अर्थ बताया है कि जो आनंद लेने वाला हो या फिर जो संतुष्टि देने वाला हो वही राम है।
ऐसे भी जान सकते हैं राम नाम का अर्थ
राम नाम का संधि विच्छेद किया जाए तो इस प्रकार अर्थ निकलता है – र+आ+म
-“र” से रसातल
-“आ” से आकाश
-“म” से मृत्यु लोक
अर्थात जो पाताल, आकाश और धरती का स्वामी है वही राम है। वहीं संस्कृत की दृष्टि से देखा जाए तो, रम् धातु में घम प्रत्यय जोड़कर राम बना है। यहां रम् का अर्थ है रमण, रमना या निहित होना, निवास करना और घम का अर्थ है ब्रह्माण का खाली स्थान। इस प्रकार राम का अर्थ पूरे ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व अर्थात स्वयं ब्रह्म। इससे आप समझ हैं राम नाम की महिमा के बारे में। इसलिए जो भी राम का नाम लेता है वह महज राम का नाम नहीं… बल्कि पूरे महामंत्र का जाप करता है।