डिजिटल डेस्क। आपके कर्मों का पूरा हिसाब किताब आपके पास हो या नहीं! लेकिन शनिदेव के पास जरुर होता है। कहते हैं कि शनि देव सब के कर्मों का हिसाब रखते हैं और उनकी टेढ़ी द्दष्टी जिसपर भी पड़ती है, उनका जीवन उथल- पुथल हो जाता है। इस वजह से ही शनिदेव का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय आ जाता है। जिनकी कुंडली में शनिदोष होता है, वे शनिवार के दिन उनकी पूजा करते है, उन्हें तेल चढ़ाते हैं और विशेष श्रद्धा भाव से उनकी पूजा करते हैं। पर शनिदेव की पूजा करने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना बहुत जरुरी होता है। ताकि आपको आपकी पूजा का पूर्ण फल मिल सकें। आइए जानते हैं शनिदेव की पूजा से जुड़े कुछ नियम।
यह दिशा है शनिदेव को प्रिय
शनि देव की पूजा करने से सही दिशा का ध्यान कर लें। पूर्व दिशा शनि देव की पूजा के लिए शुभ मानी जाती है। साथ ही शनि देव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं तो उनकी पूजा पश्चिम दिशा में मुंह करके भी की जा सकती है।
शनिवार के दिन इन रंगों को करें धारण
शनि देव की पूजा के लिए स्नान करने के बाद, काले या नीले रंग के वस्त्र पहन कर शनि देव के चरणों में दीपक जलाएं। माना जाता है कि शनि देव को काला और नीला रंग प्रिय है। शनि देव के चरणों में दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
पूजा करते समय ध्यान रखें ये बात
वैसे तो भगवान की पूजा में तांबे के पात्र इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन शनि देव की पूजा सामग्री भूलकर भी तांबे के पात्र में न रखें। कहा जाता है सूर्य देवता को तांबा अति प्रिय है, शनि देन के पिता सूर्य देव हैं और वे अपने पिता से दूर रहते हैं, जिसके कारण शनि देव की पूजा के समय लोहे के पात्र का इस्तेमाल शुभ माना जाता है, क्योंकि शनि देव को लोह बहुत प्रिय है।
तेल चढ़ाते समय रखें ये ध्यान
बताया जाता है कि कि शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर शनिदेव की मूर्ति के पास तेल चढ़ाएं या फिर उस तेल को गरीबों में दान करें। तेल चढ़ाने के दौरान इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें, कि तेल इधर-उधर न गिरे। वहीं शनिवार को काले तिल और गुड़ चींटी को खिलाएं। इसके अलावा शनिवार के दिन चमड़े के जूते चप्पल दान करना भी चप्पल दान करना भी अच्छा रहता है।
सामने खड़े होकर न करें पूजा
पहले शनिदेव के मंदिर बहुत कम संख्या में होते थे, लेकिन आज जगह-जगह आपको शनिदेव के मंदिर मिल जाएंगे, जिनमें शनिदेव की जिनमें शनिदेव की मूर्तियां भी हैं। जब शनिदेव मंदिर में जाएं, तो कभी भी मूर्ति के सामने खड़े न हों। हो सके तो शनि देव के उस मंदिर में जाएं, जहां शनि जहां शनि शिला के रूप में हों। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पीपल और शमी के पेड़ की पूजा करें।