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प्री-लिटिगेशन मीडिएशन से कोर्ट का भार होगा कम

-सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर में महाधिवक्ता कार्यालय भवन का किया भूमिपूजन

जबलपुर/ भोपाल. ‘आपसी विवादों को निपटाने के लिए प्री-लिटिगेशन मीडिएशन को अपनाने की जरूरत है। यह व्यवस्था उच्च न्यायालय के भार को कम करने और लंबित प्रकरणों को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।’ ये बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को जबलपुर में महाधिवक्ता कार्यालय भवन ‘नव सृजन’ के भूमिपूजन के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता कार्यालय सरकार और न्यायपालिका केक बीच सेतु का कार्य करता है। उन्होंने प्रदेश में लागू पेसा नियम के बारे में बताया कि अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में शांति और विवाद निवारण समितियां बनाई गई हैं, जो गांवों के स्थानीय विवाद सुलझाती हैं। सीएम ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों की तर्ज पर अन्य गांवों में भी समितियां बनाई जाएं, जो आपसी विवादों को सुलझा सकें। इसके लिए कानूनी प्रावधान के साथ मॉडल तैयार करें। इस अवसर पर महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में लोकसभा सांसद राकेश सिंह, राज्य सभा सांसद सुमित्रा बाल्मिक, कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन, एसपी टी.के. विद्यार्थी सहित न्यायाधीश, अधिवक्ता और बार एसोसिएशन के सदस्य मौजूद थे।
व्यक्ति के साथ न्याय हो, यही न्यायालय की मंशा
दिल्ली उच्च न्यायलय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन मेनन ने कहा कि महाधिवक्ता भवन वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करेगा। व्यक्ति के साथ न्याय हो, यही न्यायालय की मंशा होती है। उन्होंने बताया, कोर्ट के भार को कम करने के लिए विभिन्न न्यायालयों में प्री-लिटिगेशन मीडिएशन महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने कहा कि यह भवन निश्चित समय सीमा में तैयार होगा। उन्होंने कहा कि कोई संस्थान ईंट और सीमेंट से नहीं बनता, बल्कि कठोर परिश्रम, ईमानदारी और प्रतिबद्धता से तैयार होता है। इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जेके माहेश्वरी ने विचारों की शक्ति का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के विचार व्यक्ति के जीवन को सफलता के पायदान पर बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं।

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