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Gopaldas Neeraj: मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य… जैसे कई दोहे, पढ़िए

गोपालदास नीरज द्वारा दोहों पर डालिए एक नज़र

डिजिटल डेस्क। गोपाल दास नीरज (4 जनवरी 1924-19 जुलाई 2018) हिंदी साहित्य के जाने माने कवियों में से हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिला के गाँव पुरावली में हुआ। उनकी काव्य पुस्तकों में कई तरह की रचनाएं शामिल हैं। नीरज ने कई प्रसिद्ध फ़िल्मों के गीतों की रचना भी की है। आज हम आपको नीरज द्वारा रचित कुछ प्रसिद्ध दोहे से रुबरु करवाने वाले हैं, जिनमें शामिल है…

आत्मा के सौन्दर्य का, शब्द रूप है काव्य
मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य।

दूध पिलाये हाथ जो डसे उसे भी साँप
दुष्ट न त्यागे दुष्टता कुछ भी कर लें आप

गो मैं हूँ मँझधार में आज बिना पतवार
लेकिन कितनों को किया मैंने सागर पार
जहाँ मरण जिसका लिखा वो बानक बन आए
मृत्यु नहीं जाये कहीं, व्यक्ति वहाँ खुद जाए

मौसम कैसा भी रहे कैसी चले बयार
बड़ा कठिन है भूलना पहला-पहला प्यार
बिना दबाये रस न दें ज्यों नींबू और आम
दबे बिना पूरे न हों त्यों सरकारी काम

आँखों का पानी मरा हम सबका यूँ आज
सूख गये जल स्रोत सब इतनी आयी लाज
राजनीति शतरंज है, विजय यहाँ वो पाय
जब राजा फँसता दिखे पैदल दे पिटवाय

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