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धरोहरों के संरक्षण और विकास की दिशा में काम करना जरूरी

- यूनेस्को सब रीजनल कॉन्फ्रेंस का भोपाल में शुभारंभ

भोपाल. सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण, विकास और भविष्य की चुनौतियों पर मंथन करने के लिए यूनेस्को के दो दिवसीय सब रीजनल कॉन्फ्रेंस की शुरुआत सोमवार को कुशभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में हुई। मप्र राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष विनोद गोंटिया ने कई देशों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में दीप प्रज्जवलित कर कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ किया। इस अवसर पर गोंटिया ने कहा कि सभी देशों के पारस्पकि सांस्कृतिक समन्वय से धरोहरों के संरक्षण और विकास की दिशा में कार्य किया जाएगा। इससे सभी देशों में पर्यटन के साथ आर्थिक विकास होगा और देश की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। कॉन्फ्रेंस में यूनेस्को नई दिल्ली के ऑफिस इन चार्ज हिचकील देलमिनी वर्चुअल रूप से जुड़े। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक और राष्ट्रीय विरासतों के संरक्षण एवं विकास के लिए यह सम्मेलन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां विभिन्न देशों के विचारों का आदान प्रदान होता है। सभी देश एक-दूसरे के नवाचारों से प्रेरणा लेते हैं। कॉन्फ्रेंस में यूनेस्को नई दिल्ली की संस्कृति प्रमुख जूनी हान ने वल्र्ड हेरिटेज कन्वेंशन के 50 बरस पूरे होने पर यूनेस्कों की विरासत संरक्षण की पिछले 50 साल की यात्रा पर प्रकाश डाला। मप्र पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि मप्र सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत सहेजने के लिए सतत प्रयास कर रहा है। प्रदेश में तीन यूनेस्को विरासत स्थल खजुराहो, भीमबेटका और सांची स्तूप हैं। साथ ही मांडू, ओरदा, सतपुड़ा नेशनल पार्क और भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट को संभावित सूची में सम्मिलित किया गया है। यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है।

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