विचार

काश, कोई जाने- सबसे महान जीत प्रेम की ही होती है!

डिजिटल डेस्क। यदि किसी को समझना हो कि प्रेम क्या होता है, तो उसके लिए युवा कवयित्री नन्दिनी की इस कविता को पढ़ना ज़रूरी है। यह अंतर्तम में व्याप्त प्रेम और विरह को शब्दों में पिरोती एक विश्वस्तरीय काव्य-रचना है। युवा कवयित्री ने इस अनुपम कविता में अभिव्यक्ति की एक नयी शैली का सफल प्रयोग भी किया है। इतनी कम उम्र होते हुए भी कविता में इतनी मैच्योरिटी आश्चर्यचकित करती है! नन्दिनी, मीडिया मन्दिर की Executive Editor हैं।

काश…!

वो जाने से पहले

आखिरी बार मिला होता

कहता कि “जा रहा हूँ”

तो मैं उसे बताती-

“जाना एक खौफनाक क्रिया है”

ऐसा कवि केदार ने कहा है

 

वो रुकता और थामता मेरा हाथ

तब मैं अमृता बनकर लिखती

उसकी हथेली पर ‘प्रेम’

…और कहती

“जहाँ भी आज़ाद रूह की झलक मिले,

समझना मेरा घर है!

और उस घर में मेरा इंतज़ार करना

“मैं तैन्नूँ फिर मिलाँगी”

 

और जब मिलती तो

रवीद्रनाथ टैगोर की ये पंक्तियाँ कहती…

“तुम्हारा प्रेम

समय और ब्रह्मांड की

लंबी यात्रा करने के पश्चात

पहुँचा है मुझ तक!”

 

क्योंकि…

अशोक ने भले ही

लाख लोगों को मारकर

कलिंग पर विजय प्राप्त की थी

पर जब हृदय परिवर्तन हुआ तो

उसने माना कि…

“सबसे महान जीत प्रेम की ही होती है,

जो हृदय जीत लेती है

हमेशा के लिए!”

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