शनिदेव को मिला था ऐसा श्रॉप, इस वजह से उनकी टेढ़ी दृष्टि का होता है बुरा असर
इस कारण शनिदेव के संबंध अपने पिता से नहीं थे बेहतर
डिजिटल डेस्क। ज्योतिष शास्त्र में शनिदेन को न्यायदेवता कहा गया है, जो सभी को उनके कर्म के हिसाब से तुरंत ही फल देते हैं। इसके बावजूद भी लोगों में शनिदेव को लेकर एक अलग तरह की धारणा है। उनका नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। लोग समझते हैं कि शनिदेव का स्वभाव क्रोध का है और उनकी नजर जिन पर पड़ जाए, उनके जिंदगी में कुछ भी अच्छा नहीं होता। उनकी टेढ़ी दृष्टि से कोई नहीं बच सकता। उनकी इसी दृष्टि की वजह से उनके संबंध अपने पिता के साथ भी बेहतर नहीं रहे। उन्हें एक ऐसा श्रॉप मिला था, जिस वजह से उनकी टेढ़ी दृष्टि का बुरा असर होता है।
पत्नी ने दिया था श्राप
पुराणों में कहा गया है कि शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। शनिदेव जब युवा थे तो उनका विवाह चित्ररथ की पुत्री से हुआ। शनि देव श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, वो अपना ज्यादातार समय श्रीकृष्ण की उपसाना में व्यतीत करते थे। एक बार शनिदेव कृष्ण भक्ति में लीन थे। पत्नी के खूब प्रयास के बाद शनि देव का ध्यान भंग हो पाया। इसके बाद शनि देव की पत्नी को गुस्सा आ गया और उन्होंने शनि देव को श्राप दे दिया। पत्नी ने कहा कि जिस व्यक्ति पर शनि देव की दृष्टि पड़ेगी वह तबाह हो जाएगा। ध्यान से जागने के बाद शनि देव को भूल का आभास हुआ और उन्होंने पत्नी को मनाने की कोशिश की। लेकिन शनि देव की पत्नी के पास श्राप को निष्फल करने की शक्ति नहीं थी। इस कारण माना जाता है कि शनिदेव की टेढ़ी दृष्टि किसी का भी विनाश कर सकती है।
मां का तप बना कारण
शनिदेव के काले रंग को देखकर सूर्यदेव ने पत्नी छाया पर संदेह किया था और उसे अपमानित करते हुए कहा था कि वो उनका पुत्र नहीं हो सकता। मां के तप की शक्ति शनिदेव में भी आ गई थी और उन्होंने क्रोधित होकर अपने पिता सूर्यदेव की ओर देखा तो सूर्यदेव बिल्कुल काले हो गए, उनके घोड़ो की चाल रूक गई। परेशान होकर सूर्यदेव भोलेनाथ की शरण लेनी पड़ी। इसके बाद शिव जी ने ही सूर्यदेव को उनकी गलती का अहसास दिलाया। सूर्यदेव ने अपनी गलती की क्षमा भी मांगी, जिसके बाद उन्हें उनका असली रूप वापस मिल गया। लेकिन इसका मतलब ये नहीं की पिता से उनके संबंधो में सुधार आया हो। पिता पुत्र का संबंध जो एक बार खराब हुआ वो आज तक नहीं सुधरा। शनिदेव को अपने पिता सूर्य का विद्रोही माना जाता है।